इस ब्लॉग पर मै आपके साथ ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, दोहा, कविता, इत्यादि रचनाएँ साझा करता रहूँगा। Copyright@ मुकेश पाण्डेय "जिगर"
Wednesday, November 13, 2024
कविता: सहस्त्रार्जुन और लंकेश
कृतवीर्य, पद्मिनी के बेटे
हैहय वंशाधिपति अर्जुन
माहिष्मति नगरी के राजा
दशग्रीवजयी सहस्त्रार्जुन
गुरु दत्तात्रेय से पाया था
वरदान हजार भुजाओं का
तोड़ा था अहंकार जिसने
रण में अनेक राजाओं का
यूं ही जल क्रीड़ा करने में
अपनी शक्ति को झोंक दिया
अपने हजार भुजबल से जिसने
नर्मदजल भी रोक दिया
उस कार्तवीर्य की कीर्ति से
वाकिब थे सारे प्रतिद्वंदी
लंका के पति दशानन को
जिसने था बना लिया बंदी
दादा पुलत्स्य के कहने पर
पोते लंकेश को छोड़ दिया
लेकिन रावण के विश्व विजय
अभियान के मद को तोड़ दिया
@ मुकेश पाण्डेय जिगर
भोजपुरी गीत: करिया चश्मा लगाके गोरिया
करिया चश्मा लगा के गोरिया, चढल टरेनिया में।
देखि खून के दौड़ा तेज भईल, लैकन के धमनियां में।
बाराबंकी से बईठल ऊ, बिन साथी संगतिया।
स्लीपर वाला कोच रहे और, गाड़ी साबरमतिया।
होठवा पर स्माइल लिहले, हथवा में मोबाइल
अपना बार के लट सुलझा के, मारत बा स्टाइल।
आइल रहल बसंत महिनवा, उनका जवनियां में।
देखि खून के दौड़ा...................
गलिया पर करिया तिल वाली, गोर सुरतिया सोहे।
कान में बाली, होठ पे लाली, सबके मनवा मोहे।
जीन्स पेंट और टॉप पहिनके, गोरिया मॉडल लागै।
TC बाबू टिकट न मांगै, आंख सेक के भागैं।
मांगै सब मोबाइल नंबर, गिरके चरनिया में।
देखि खून के दौड़ा..........
ट्रेन सफर आसान भईल जब उनसे मिलल नज़रिया।
ऊ रहली बदलापुर वाली, हम तो मालीपुरिया।
दिल के हाल सुनावे खातिर, जैसे नियरा गईली।
ऊ इंस्पेक्टर पति के अपना, तुरते फोन लगइली
ट्विस्ट नया ऊ ला दिहली ई, प्रेम कहनियां में।
देखि खून के दौड़ा..........
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Tuesday, November 12, 2024
सहस्त्रबाहु अर्जुन पर कविता
कविता: सहस्त्रार्जुनजी
तलवार, धनुष, त्रिशूल, चक्र
रण में कौशल दिखलाते थे
रावण को बंदी बना लिया
दशग्रीवजयी कहलाते थे
उस चक्र सुदर्शन अवतारी
सातों द्वीपों के विजयी को
शत- शत प्रणाम करते हैं हम
प्रभु कार्तवीर्य अर्जुन जी को
@ मुकेश पाण्डेय जिगर
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