दिल के जज़्बात दिल में दबाते रहे,
प्यार आंखों से लेकिन जताते रहे,
बात दिल की कभी हमसे कह ना सके,
बस हमें देख नज़रें झुकाते रहे,
हारते हम रहे बाजियाँ इश्क में,
फिर भी दिल हम उन्ही से लगाते रहे,
हाले-दिल जो बयाँ उनसे कर ना सके,
अपनी ग़ज़लों में सबको सुनाते रहे,
दिल ने दिल से किए थे जो वादे कभी,
वो भुलाते रहे हम निभाते रहे।
उनकी यादों की स्याही से दिल पर लिखी,
शायरी आँसुओ से मिटाते रहे ।
इश्क में दिल तो उनका भी धड़का "जिगर",
हम बताते रहे वो छुपाते रहे,
@ मुकेश पाण्डेय "जिगर"