इस ब्लॉग पर मै आपके साथ ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, दोहा, कविता, इत्यादि रचनाएँ साझा करता रहूँगा। Copyright@ मुकेश पाण्डेय "जिगर"
Wednesday, February 14, 2024
गीत : माता पिता
अपने माता - पिता को करें हम नमन,
इनके चरणों में मिलते सभी धाम हैं।
हाथ सर पे जो रख दें तो बन जाएंगे,
जो भी बिगड़े हुए सब तेरे काम हैं ।
जिसकी डाली पे हम तुम खिले फूल बन
वो अनोखा अनूठा सा पौधा है मां।
गोद में जिसकी खेले स्वयं श्री हरी,
देवकी, कौशल्या, यशोदा है मां।
प्रेम मीरा का शबरी की भक्ति है मां,
मिलने आते जिन्हे कृष्ण और राम हैं।
अप्रदर्शित रहा प्यार जिसका सदा,
ज़िंदगी बाग है बागबां हैं पिता।
दे रहा है उड़ाने जो हर ख़्वाब को,
हम परिंदे हैं तो आसमां है पिता।
मुश्किलें ज़िंदगी में बहुत हैं मगर,
है पिता तो हरेक काम आसान है।
जिसने जीवन बिताया है तेरे लिए,
उनका सम्मान कर प्यार से पेश आ।
पूछना मूल्य इनका कभी तू उन्हें,
हैं नही जिनके दुनिया में माता - पिता।
संग मां- बाप हैं तो समझले ये तुम,
संग ईश्वर तुम्हारे सुबह शाम है।
----- मुकेशकुमार पाण्डेय 'जिगर'
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