Saturday, April 27, 2024

अंतरिक्ष विज्ञान पर गीत (पैरोडी)

आओ बच्चों तुम्हें बताएं बातें हम विज्ञान की, रॉकेट, सैटेलाइट वाले अंतरिक्ष के ज्ञान की। जय हो विक्रम जी, जय हो विक्रम जी -2 टेलिस्कोप ने आसमान का दर्शन हमें कराया है, और स्पेस शटल ने हमको अंतरिक्ष पहुंचाया है, इसरो के वैज्ञानिकों ने जग में नाम कमाया है, चंद्रयान - 3 ने भारत के परचम को लहराया है। भारत के वैज्ञानिकों के मान और सम्मान की, रॉकेट सैटेलाइट वाले अंतरिक्ष की ज्ञान की। उन्नीस सौ पचहत्तर में जब आर्यभट्ट को छोड़ा था, कोसमोस - 3 एम. वाहन ने धरती अंबर जोड़ा था, भारत की इस उपलब्धि ने दुनिया का भ्रम तोड़ा था, अंतरिक्ष की दिशा में हमने अपने रुख को मोड़ा था। जी. एस. एल. वी., पी. एस. एल. वी. प्रक्षेपण के यान की। रॉकेट, सैटेलाइट वाले अंतरिक्ष के ज्ञान की। जय हो विक्रम जी, जय हो विक्रम जी -2 सात समंदर पार भी लोगों से बातें हो जाती हैं, मौसम के बारे में सारी माहितियाँ मिल जाती हैं, EDUSAT से शिक्षा की कलियां सारी खिल जाती हैं, उपग्रहों से कितनी सारी मुश्किल हल हो जाती है। चंद्रयान, आदित्य, गगन और बातें मंगलयान की, रॉकेट सैटेलाइट वाले अंतरिक्ष के ज्ञान की। जय हो विक्रम जी, जय हो विक्रम जी। -2 @ मुकेश पाण्डेय जिगर

Thursday, April 18, 2024

सबसे पहले हो मतदान

शीर्षक: सबसे पहले हो मतदान लोकतंत्र का है सम्मान मतदाता का स्वाभिमान सबसे पहले हो मतदान उसके बाद ही बाकी काम लोकतंत्र का पर्व मनाए मतदाता का फर्ज़ निभाए बने नागरिक ज़िम्मेदार जल्दी हो जाएं तैयार सबसे पहले हो मतदान उसके बाद ही बाकी काम 7 मई के महापर्व की बात सभी को बतलाएं गली मुहल्ले वालों में भी इस संदेश को फैलाएं सबसे पहले हो मतदान उसके बाद ही बाकी काम अपने हक का मान करें सौ प्रतिशत मतदान करें मत से वंचित रह न जाएं युवा वृद्ध या महिलाएं सबसे पहले हो मतदान उसके बाद ही बाकी काम @मुकेशकुमार पाण्डेय

Wednesday, April 17, 2024

मतदान जागृति स्लोगन

लोकतंत्र का सही सम्मान हमारा हक और स्वाभिमान सबसे पहले करो मतदान उसके बाद बाकी काम

Wednesday, February 14, 2024

गीत : माता पिता

अपने माता - पिता को करें हम नमन, इनके चरणों में मिलते सभी धाम हैं। हाथ सर पे जो रख दें तो बन जाएंगे, जो भी बिगड़े हुए सब तेरे काम हैं । जिसकी डाली पे हम तुम खिले फूल बन वो अनोखा अनूठा सा पौधा है मां। गोद में जिसकी खेले स्वयं श्री हरी, देवकी, कौशल्या, यशोदा है मां। प्रेम मीरा का शबरी की भक्ति है मां, मिलने आते जिन्हे कृष्ण और राम हैं। अप्रदर्शित रहा प्यार जिसका सदा, ज़िंदगी बाग है बागबां हैं पिता। दे रहा है उड़ाने जो हर ख़्वाब को, हम परिंदे हैं तो आसमां है पिता। मुश्किलें ज़िंदगी में बहुत हैं मगर, है पिता तो हरेक काम आसान है। जिसने जीवन बिताया है तेरे लिए, उनका सम्मान कर प्यार से पेश आ। पूछना मूल्य इनका कभी तू उन्हें, हैं नही जिनके दुनिया में माता - पिता। संग मां- बाप हैं तो समझले ये तुम, संग ईश्वर तुम्हारे सुबह शाम है। ----- मुकेशकुमार पाण्डेय 'जिगर'

Thursday, January 18, 2024

मुक्तक

साथ तू है तो सारा ज़माना रहा, तेरी आंखों में मेरा ठिकाना रहा, हर दिखावे पे भारी तेरी सादगी, सादगी का सदा मैं दिवाना रहा।

Tuesday, December 12, 2023

शिक्षक पर दोहे

दोहे 1 शिक्षा देकर ज्ञान की, जग में ज्योत जलाय। भाग्यवान को ही मिले, शिक्षक का व्यवसाय।। 2 अपने शिष्यों को सदा, समझो अपना रूप। भारत के भावी यही, अनुपम और अनूप।। 3 करे परीक्षा में सफल, उसे माहिती मान। जीवन जो करदे सफल, समझो सच्चा ज्ञान।

मुक्तक: वर्तमान के वर्गखंड से

मुक्तक अंधियारे को हरने वाला सूरज फिर से निकलेगा। ज्योत जलेगी ज्ञान की तो अज्ञान मोम सा पिघलेगा। कोई शिक्षक, कोई लेखक, कोई वैज्ञानिक होगा। वर्तमान के वर्गखण्ड से भावी भारत निकलेगा।