इस ब्लॉग पर मै आपके साथ ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, दोहा, कविता, इत्यादि रचनाएँ साझा करता रहूँगा। Copyright@ मुकेश पाण्डेय "जिगर"
Saturday, November 29, 2025
फिर नई शुरूआत होगी
था बहुत खुशहाल जीवन
व्यंजनों का थाल जीवन
चाह का गुल खिल रहा था
जो भी चाहो मिल रहा था
नाम मेरा चल रहा था
दुश्मनों को खल रहा था
बिजलियों सी धमक मुझमें
सूर्य सी थी चमक मुझमें
एक दिन सहसा गिरा मैं
दर्द औ' दुख से घिरा मैं
वक्त की है मार बंदे,
यूं न थककर हार बंदे
दुख को अपना मान ले तू
दर्द सहना जान ले तू
रात को तू बीतने दे
कुछ उजाला दीखने दे
फिर नई शुरूआत होगी
तुझमें फिर वो बात होगी
@मुकेश पाण्डेय "जिगर"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment