इस ब्लॉग पर मै आपके साथ ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, दोहा, कविता, इत्यादि रचनाएँ साझा करता रहूँगा। Copyright@ मुकेश पाण्डेय "जिगर"
Tuesday, November 22, 2022
Muktak: wahi to chakradhari hai
वही तो चक्रधारी हैं, वही बंसी बजैया हैं
हैं पालनहार दुनिया के, वही सब के खिवैया हैं
जो दुर्योधन का वैभव त्याग कर खाएं विदुर के घर
वही माधव हैं मोहन हैं वही सबके कन्हैया है
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