इस ब्लॉग पर मै आपके साथ ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, दोहा, कविता, इत्यादि रचनाएँ साझा करता रहूँगा। Copyright@ मुकेश पाण्डेय "जिगर"
Sunday, July 10, 2022
सरस्वती वंदना (गीत) - कवि मुकेश पाण्डेय "जिगर"
हे हंसवाहिनी माँ, हमें ज्ञान रतन देना।
संगीत कला वाणी, विद्द्या का धन देना।
तुम ज्ञान की हो देवी, हम सब अज्ञानी हैं।
हर शब्द हैं तुमसे ही, तुमसे ही ये वाणी है ।
हमें ज्ञान के अमृत का, सागर मंथन देना।
हे हंसवाहिनी माँ....................
वीणा है हाथों में, बैठी कमलासन हो।
हर वेद ग्रंथ तुमसे, तुम ही अनुशासन हो।
जिसमें सद्बुध्दी हो, हमें ऐसा मन देना।
हे हंसवाहिनी माँ....................
अज्ञान तिमिर हर के, अब ज्ञान प्रकाश करो।
हे वीणावादिनी माँ, वाणी में वास करो।
औरों के जो काम आए, ऐसा जीवन देना।
हे हंसवाहिनी माँ....................
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